बहाने बनाने लगी है अब वो मुझसे
शायद सोच लिया है दूर होने को मुझसे
तेवर बदल गए हैं इन दिनों उसके
ऊब गई है शायद वो अब मुझसे
वादे कसमों मोहब्बत की गोटियों से
शतरंज खेलती रही है वो मुझसे
अपनी ज़वानी की खाली वक्तों को
किस खूबी से उसने भरा है मुझसे
हर अफसाने का अंजाम यही होता है
बेवफाई की रस्मे करने लगी है मुझसे
अब अगर तुल गई है बेवफाई को तो
कैसे रह सकती है आशनां वो मुझसे
चुभोने लगी है अब तानों के नश्तर वो
खुदाया क्या तरीका है दूर होने का मुझसे
शायद सोच लिया है दूर होने को मुझसे
बहाने बनाने लगी है अब वो मुझसे
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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