सोमवार, 11 जुलाई 2011

शतरंज

बहाने बनाने लगी है अब वो मुझसे
शायद सोच लिया है दूर होने को मुझसे


तेवर बदल गए हैं इन दिनों उसके
ऊब गई है शायद वो अब मुझसे

वादे कसमों मोहब्बत की गोटियों से
शतरंज खेलती रही है वो मुझसे

अपनी ज़वानी की खाली वक्तों को
किस खूबी से उसने भरा है मुझसे

हर अफसाने का अंजाम यही होता है
बेवफाई की रस्मे करने लगी है मुझसे

अब अगर तुल गई है बेवफाई को तो
कैसे रह सकती है आशनां वो मुझसे

चुभोने लगी है अब तानों के नश्तर वो
खुदाया क्या तरीका है दूर होने का मुझसे


शायद सोच लिया है दूर होने को मुझसे
बहाने बनाने लगी है अब वो मुझसे

                           --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव

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