गुरुवार, 12 मई 2011

कथ्य - ९

"प्रेम"

एक इसे करता है तो अपने स्वार्थ के लिए 

और

दूसरा उसके स्वार्थ के लिए

जिसे वह सच्चे मन से चाहता है......

दोनों ही इस ध्येय को पाने के लिए

अपना सब कुछ गँवा देते हैं ----

अच्छे और बुरे की पहचान भूल कर

अपने स्वार्थ में, अपने ध्येय में 

सफल हो जाना चाहते हैं .......

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