मुझे तुमसे प्यार है मुझे कहाँ इन्कार है
तुझे प्यार करने को दिल मेरा बेकरार है
पी कर मय तुम्हारी शरबती आँखों का
तिरे हुश्न का नशा मुझ पर सवार है
छोड़ा जो हाथ तुमने राह-ए-मंजिल में
राहों में छाया तल्ख़ वीरां अंधकार है
ज़िन्दगी गुज़र ही जाएगी रोते सिसकते
पर तेरी बेवफाई मेरी वफ़ा पर उधार है
कहते हो कुछ नहीं होता बिछुड़ कर इश्क़ में
शायद तुम्हारे लिए मोहब्बत व्यापार है
तुझे प्यार करने को दिल मेरा बेकरार है
मुझे तुमसे प्यार है मुझे कहाँ इन्कार है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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