गुरुवार, 5 मई 2011

भूलना

तुझे भूलने की कोशिश में तुझे याद किये जा रहा हूँ             
चाहता हूँ सताऊ तुम्हें खुद को सताए जा रहा हूँ

या रब तूने क्यूँ मिलाया मुझे उस ज़ालिम से
उसके इश्क की जुनूं में तबाह हुए जा रहा हूँ 

वो मज़े-मज़े की बातें वो मीठी मुलाकातें
तुम तो भूल गए मैं ही याद किये जा रहा हूँ 

किसी ने नज़र लगा दी मोहब्बत भरे आशियाँ को
अब तो हर जले तिनके पे अश्क बहाए जा रहा हूँ   

गर वो छोड़ तन्हा चला गया तो क्या हुआ
अब इस गम के भी जायके लिए जा रहा हूँ  

ख्वाबों से सजे पलकों को काट डाला तूने
क्या किया तूने मैं क्या किये जा रहा हूँ

क्या कभी भूले से भी याद करता होगा मुझे तू भी
निकल न जाये कहीं आह लबों को सिये जा रहा हूँ 

चाहता हूँ सताऊ तुम्हें खुद को सताए जा रहा हूँ
तुझे भूलने की कोशिश में तुझे याद किये जा रहा हूँ
                                                 --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव 

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