दिल को जो कर गया तन्हा उसे मैं कहाँ ढूँढूँ
सुकूं दे सके दिल को सनम ऐसा कहाँ ढूँढूँ
हर इक के हाथ में नस्तर है यहाँ
अपने गम की दवा मैं कहाँ ढूँढूँ
सर से पांव तलक सराबोर कर दे मुझे
ऐसा मोहब्बत का झरना मैं कहाँ ढूँढूँ
चाहत ही रही दिल में इक अदद सनम की
बेवफाओं की दुनिया में बावफा कहाँ ढूँढूँ
चारों तरफ छाई हुई है उदासियाँ
कब्रगाह में ख़ुशी का माहौल कहाँ ढूँढूँ
सुकूं दे सके दिल को सनम ऐसा कहाँ ढूँढूँ
दिल को जो कर गया तन्हा उसे मैं कहाँ ढूँढूँ
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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