अश्क बरसते हैं आँखों से जुदाई के मौसम में
डसते हैं तन्हाई के नाग जुदाई के मौसम में
पहरों बातें किया करते थे हम जहाँ-तहाँ
हर जगह याद आई जुदाई के मौसम में
सब्र का बाँध तोड़ देते हैं नाफर्मादार अश्क़
यादों की बाढ़ आई जुदाई के मौसम में
इश्क की चासनी में लिपटी उसकी वो मीठी बातें
प्रीत की बात याद आई जुदाई के मौसम में
जाने वो मुझे याद करता होगा या नहीं
लब पे नाम है उसका जुदाई के मौसम में
ज़रूर याद आता होऊँगा मैं उसे बाद दिखने के
सुकून इसी ख्याल से आया जुदाई के मौसम में
डसते हैं तन्हाई के नाग जुदाई के मौसम में
अश्क बरसते हैं आँखों से जुदाई के मौसम में !!
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
डसते हैं तन्हाई के नाग जुदाई के मौसम में
पहरों बातें किया करते थे हम जहाँ-तहाँ
हर जगह याद आई जुदाई के मौसम में
सब्र का बाँध तोड़ देते हैं नाफर्मादार अश्क़
यादों की बाढ़ आई जुदाई के मौसम में
इश्क की चासनी में लिपटी उसकी वो मीठी बातें
प्रीत की बात याद आई जुदाई के मौसम में
जाने वो मुझे याद करता होगा या नहीं
लब पे नाम है उसका जुदाई के मौसम में
ज़रूर याद आता होऊँगा मैं उसे बाद दिखने के
सुकून इसी ख्याल से आया जुदाई के मौसम में
डसते हैं तन्हाई के नाग जुदाई के मौसम में
अश्क बरसते हैं आँखों से जुदाई के मौसम में !!
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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