वो आखिरी मुलाकात याद है मुझे
मोहब्बत की जब हुई शाम याद है मुझे
किस अदा से उसने कहा था बाय
वो आखिरी लफ्ज़ उसका याद है मुझेकिसे पता था यही है सफ़र आखिरी
जुदा होने का वो पल याद है मुझे
मिल न सके हम फिर कभी उससे
या खुदा तेरा कहर याद है मुझे
तनहा कर गया है वो तन्हाई में
उसकी शोहबत का हर लम्हा याद है मुझे
उससे इक मुलाकात का तलबगार हूँ मैं
तंगदिली ज़माने की याद है मुझे
मोहब्बत की जब हुई शाम याद है मुझे
वो आखिरी मुलाकात याद है मुझे
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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