देखो आज आँखों में आँसू भर चला है
होके जुदा तेरा अहमियत पता चला है
क्यूँ चले गए तुम शहर छोड़
तेरे बिन दिल तन्हा हो चला है
जुदाई तडपा रही है मुझे इस कदर
नींद जाने कहाँ गुम हो चला है
कितना रोका मैंने तुझे जाने से
तेरे जाते ही शहर वीरां हो चला है
चली आओ ज़ल्दी करीब मेरे सनम
तेरे पीछे घर जल के राख़ हो चला है
होके जुदा तेरा अहमियत पता चला है
देखो आज आँखों में आँसू भर चला है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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