शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

याद में

आपकी बावफा  याद में आँसू बहा लेता हूँ
कुछ न मिले तो खून-ए-आरज़ू पी लेता हूँ

याद  जब आती हैं आप  की  बातें
घबड़ा के दर्द से आँखें भींच लेता हूँ

ये  क्या दे  दिया  बिछुड़ते  हुए  आपने
दर्द-ए-दिल से बचने को मय पी लेता हूँ

सुकून नहीं करार नहीं दिल को कहीं
आपकी खातिर सिर्फ तड़प लेता हूँ

आपके दर से उठ किधर जाऊं बताइए ज़रा
अब  तो खुद ही  को घर में कैद कर लेता हूँ

कुछ न मिले तो खून-ए-आरज़ू पी लेता हूँ
आपकी बावफा  याद में आँसू बहा लेता हूँ
                                           --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव 


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