"****" से हो गई है प्रीत
मिल गई है मुझे मनमीत
आया इक झोंका पवन का
लाया सौगात मधुबन का
बिछा गया गलीचा कलियों का
भला कर गया मेरे मन-आँगन का
दूर कर गया रीतापन दामन का
कितनी अच्छी है प्रेम की ये रीत
"****" से हो गई है प्रीत ......
चलते-चलते जीवन के पथ पर
आ मिले हैं उस हसीं से इस मोड़ पर
कुछ पल तक जीवन-सफ़र होगी वो
कुछ दूर तक संग-संग चलेगी वो
बिखेरेगी सुगंध तन-मन की वो
एक नवगंध भरेगी जीवन में वो
मनमुग्ध करेगी बतियन से वो
फिर गमक उठे हैं मेरे गीत
"****" से हो गई है प्रीत ......
दो पल की है ये प्रीत शायद
कुछ दूर का है ये साथ शायद
मोड़ अगला ज़ल्द आयेगा शायद
दूर मुझसे उसे ले जायेगा शायद
चलना होगा मुझे उसे छोड़ कर
जीवन का है ये सच मान कर
कितनी अजीब है जीवन की ये रीत
"****" से हो गई है प्रीत
मिल गई है मुझे मनमीत !!
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
मिल गई है मुझे मनमीत
आया इक झोंका पवन का
लाया सौगात मधुबन का
बिछा गया गलीचा कलियों का
भला कर गया मेरे मन-आँगन का
दूर कर गया रीतापन दामन का
कितनी अच्छी है प्रेम की ये रीत
"****" से हो गई है प्रीत ......
चलते-चलते जीवन के पथ पर
आ मिले हैं उस हसीं से इस मोड़ पर
कुछ पल तक जीवन-सफ़र होगी वो
कुछ दूर तक संग-संग चलेगी वो
बिखेरेगी सुगंध तन-मन की वो
एक नवगंध भरेगी जीवन में वो
मनमुग्ध करेगी बतियन से वो
फिर गमक उठे हैं मेरे गीत
"****" से हो गई है प्रीत ......
दो पल की है ये प्रीत शायद
कुछ दूर का है ये साथ शायद
मोड़ अगला ज़ल्द आयेगा शायद
दूर मुझसे उसे ले जायेगा शायद
चलना होगा मुझे उसे छोड़ कर
जीवन का है ये सच मान कर
कितनी अजीब है जीवन की ये रीत
"****" से हो गई है प्रीत
मिल गई है मुझे मनमीत !!
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव